इस पोस्ट में हम बिहार राज्य के अंदर तीन बिल्कुल फ्री गुरुकुल के बारे में बात करेंगे ये गुरुकुल उन लोगों के लिए है जो गरीब हैं, अपने बच्चों को गुरुकुल में पढ़ाने का सपना देखते तो हैं लेकिन उनके पास पैसे नहीं होते हैं लेकिन ऐसे गरीब लोगों के लिए बहुत से लोगों ने देशभर में कई सारे फ्री गुरुकुल चला रखा है।
गुरुकुल में पढ़ाकर आप अपने बच्चों को संस्कारी तो बनाएंगे ही साथ ही इतने प्रतिभावान बनेंगे आपके बच्चे की वो पूरे विश्व में आपका और देश का नाम को रोशन करने का काम करेंगे।
कुछ लोगों के मन में एक भ्रम होता है कि गुरुकुल में बच्चों को पढ़ाने से बच्चे सिर्फ पंडित बन जाते हैं और रुपया पैसा नहीं कमा पाते हैं लेकिन आज के गुरुकुल का पूरी तरह से कायाकल्प बदल चुका है और कॉन्वेंट स्कूल या इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से भी कई गुना तेज गुरुकुल के बच्चे हो रहे हैं एवं सरकारी नौकरी से लेकर प्राइवेट सेक्टर तक अच्छे-अच्छे जॉब पर अपना कब्जा जमा रहे हैं।
1. आर्ष गुरुकुल दयानन्द वाणी
आर्ष गुरुकुल दयानन्द वाणी बिहार के मधुबनी जिला मे Benipatti Jarail में स्थित है इस गुरुकुल का शुरुआत 27 मई 1995 शनिवार से लेकर 29 में सोमवार तक किया गया था इस गुरुकुल के स्थापना समारोह के अवसर पर आर्य जगत के प्रसिद्ध विद्वान शास्त्रार्थ महारथी पण्डित गंगाधर शास्त्री जी , डाक्टर व्यास नन्दन शास्त्री जी , प्रसिद्ध भजनोपदेशक श्री जयपाल सिंह जी , पण्डित श्री कपिल कुमार शर्मा जी , श्री कमलेश दिव्यदर्शी जी एवं नेपाल के विद्वान् ब्रह्मचारी वेद बन्धु जी इत्यादि मौजूद थे।
श्री सुशीलकांत मिश्रा जी के द्वारा स्थापित इस गुरुकुल में बच्चों को शिक्षा दीक्षा बिल्कुल मुफ्त में दिया जाता है यहां पर अनुशासित गुरुओं के द्वारा बच्चों को वेद एवं आधुनिक शिक्षा बड़े ही अनुशासित ढंग से दिया जाता है और यहां के बच्चे देश में अच्छे-अच्छे पदों पर नौकरियां कर रहे हैं। इस गुरुकुल का अपना गौशाला है जहां पर गायें पाली जाती है और उनका दूध बच्चों को पीने को मिलता है साथ ही यहां पर पढ़ रहे बच्चों को गौ माता का सेवा करने का मौका भी मिलता है।
इस गुरुकुल में दो से तीन भवन एक यज्ञशाला एवं एक गौशाला है इसी गुरुकुल में पढे हुए ब्रह्मचारी श्री अनिल जी जर्मनी के ओलंपिक खेल में हिस्सा लिए थे और स्वर्ण पदक हासिल करके गुरुकुल एवं देश का नाम रोशन किए थे। इस गुरुकुल का संचालन चंदे के ऊपर निर्भर है क्योंकि यहां पर आय का कोई स्रोत नहीं है।
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2. राजेंद्र संस्कृत विद्यालय मानपुर गया
राजेंद्र संस्कृत विद्यालय में बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक शिक्षा भी दिया जाता है ताकि बच्चे संस्कारी भी बने और प्राइवेट या सरकारी नौकरियों में अपना स्थान भी प्राप्त करें। इस गुरुकुल में पढ़ रहे बच्चो का गुरुकुल के अंदर ही पढना खाना पीना सभी होता है यहां के बच्चे आधुनिक शिक्षा तो लेते ही हैं साथ ही वैदिक शिक्षा जैसे संस्कृत, वेद पुराण, कर्मकांड, कंप्यूटर, एवं गीत संगीत का शिक्षा प्राप्त करते हैं।
इस गुरुकुल में अभी के समय में लगभग 100 बच्चे शिक्षा दीक्षा ले रहे हैं जिसमें बिहार के ही अलग-अलग जिले से आए हैं जैसे जहानाबाद, छपरा, पटना, औरंगाबाद एवं पलामू इत्यादि जिलों के बच्चे यहां पर पढ़ते हैं। इस गुरुकुल को सन 1939 में शुरू किया गया था और तभी से यहां पर बच्चे वैदिक एवं आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इस गुरुकुल राजेंद्र संस्कृत विद्यालय मानपुर का देखरेख श्री सुदर्शन जी महाराज द्वारा किया जाता है इस गुरुकुल में पढ़ रहे बच्चे धोती कुर्ता एवं गमछा पहनते हैं और ललाट पर हमेशा तिलक लगी रहती है। इस गुरुकुल में बच्चों का पढ़ाई से संबंधित जैसे कॉपी किताब कलम वस्त्र भोजन नाश्ता इत्यादि के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
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3. Mantralaya Ramacharya Vedic Pathshala
गया जिला को भगवान विष्णु का नगरी माना जाता है यहां पर एक ऐसा फ्री गुरुकुल है जिसका नाम है Mantralaya Ramacharya Vedic Pathshala इस गुरुकुल में बच्चों को कर्मकांड, वेद, साहित्य एवं संस्कार की शिक्षा दी जाती है। पंडित रामाचार्य जी के द्वारा शुरू किया गया इस गुरुकुल में बच्चों को वैदिक शिक्षा देकर संस्कारी बनाया जाता है।
यह गुरुकुल बिहार में गया के मोक्षदायिनी तट पर स्थित है इस गुरुकुल में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों के बच्चे भी कर्मकांड एवं ज्योतिष का शिक्षा लेते हैं। यह गुरुकुल पूरी तरह से फ्री है यहां पर रहने खाने एवं पढ़ाई से संबंधित सभी उपकरण जैसे किताब कोपी कलम इत्यादि फ्री है एवं यहां पर 6 से 7 साल के बच्चों का प्रवेश शुरू हो जाता है।
इस गुरुकुल से पढ़कर निकले हुए बच्चे देश एवं विदेश के मंदिरों में अपना सेवा देते हैं, गया जी में पंडा एवं ब्राह्मण जो पिंडदान करवाने का काम करते हैं उनमें करीब 50% Mantralaya Ramacharya Vedic Pathshala के होते हैं।