रघुकुल शिरोमणि श्रीराम का यह मंत्र, जिसे “विजय रथ” के नाम से जाना जाता है, अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक है। यह मंत्र महाकाव्य रामचरितमानस से लिया गया है। जब रावण के साथ युद्ध के लिए श्रीराम तैयार हो रहे थे, तब विभीषण ने चिंता व्यक्त की कि उनके पास न तो रथ है और न ही कोई युद्ध का साधन। इस पर श्रीराम ने उन्हें बताया कि सच्चा विजय रथ बाहरी साधनों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि आंतरिक गुणों और धर्म के बल पर चलता है।
यह मंत्र सिखाता है कि जीतने के लिए बाहरी हथियार या साधनों की नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, धर्म, धैर्य, सत्य, और सदाचार की आवश्यकता होती है। यह आध्यात्मिक विजय का प्रतीक है, जहाँ बाहरी युद्ध के साथ-साथ आंतरिक संघर्ष को भी जीतने की प्रेरणा दी जाती है।
मंत्र का हिंदी अनुवाद
मंत्र:
रावनु रथी बिरथ रघुबीरा |
देखि बिभीषन भयउ अधीरा ॥
अधिक प्रीति मन भा संदेहा |
बंदि चरन कह सहित सनेहा ॥
नाथ न रथ नहिं तन पद त्राना |
केहि बिधि जितब बीर बलवाना ॥
सुनहु सखा कह कृपानिधाना |
जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना ॥
सौरज धीरज तेहि रथ चाका |
सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका ॥
बल बिबेक दम परहित घोरे |
छमा कृपा समता रजु जोरे ॥
ईस भजन सारथी सुजाना |
बिरति चर्म संतोष कृपाना ॥
दान परसु बुद्धि सक्ति प्रचंडा |
बर बिग्यान कठिन कोदंडा ॥
अमल अचल मन त्रोन समाना |
समजम नियम सिलीमुख नाना ॥
कवच अभेद बिप्र गुर पूजा |
एहि सम बिजय उपाय न दूजा ॥
सखा धर्ममय अस रथ जाकें |
जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें ॥
अर्थ:
श्रीराम बताते हैं कि जिस योद्धा का रथ साहस और धैर्य से बना हो, जिसकी ध्वजा सत्य और शील (चरित्र) की हो, जिसके पास बल, विवेक, और आत्मसंयम का घोड़ा हो, और जो क्षमा, दया, और समता की डोर से बंधा हो, वही सच्चा विजेता है। यह रथ धर्म के मार्ग पर चलता है और इसमें भगवान का भजन सारथी है। ऐसा रथ किसी भी शत्रु को हराने के लिए सक्षम है।
मंत्र का संस्कृत अनुवाद
संस्कृत में मंत्र:
रावणस्य रथं पश्य रघुवीरं निरथं च |
विभीषणः सन्देहं कृतवान् भयविह्वलः च ||
अधिकं प्रेम मनसि संदेहं चकार |
पादौ वन्द्य सम्प्राप्य स्नेहं च वक्तुम् ||
नाथ रथं न च शरीरं न पादयुद्धं |
कथं जितं वीरबलं च ||
सखा धर्मरथं च कथयति कृपानिधिः |
येन जयः भवति स रथः सम्प्राप्तः ||
साहसं धैर्यं च रथचक्रं सत्यं शीलं च पताका ||
बलं विवेकं दमं च परहितं घोः |
क्षमा कृपा समता च रज्जुयुक्तम् ||
ईश्वरभक्तिं सारथिं च सुष्टं |
वैराग्यं चर्मं सन्तोषं कृपाणं च ||
दानं परशुं बुद्धिं शक्तिं च प्रचण्डं |
विज्ञानं कठोरं धनुषं च ||
निर्मलं अचलं च मनः त्रिपुरं |
समत्वं नियमः सिलीमुखं नानाविधं ||
कवचं अभेद्यं विप्रगुरुपूजां च |
एवं विजयः उपायः न अन्यः ||
सखा धर्ममयः रथः यस्य |
जीतं च रिपवः न कतिपि तस्य ||
अर्थ:
संस्कृत अनुवाद में यही भावना व्यक्त की गई है कि सच्चा रथ वह है जो धर्म, सत्य, और आत्मबल पर आधारित हो। यह दिखाता है कि बाहरी साधनों के बजाय आंतरिक गुण और आध्यात्मिक शक्ति विजय दिलाते हैं।
मंत्र का अंग्रेज़ी अनुवाद
English Translation of the Mantra:
Ravana's chariot is mighty, while Lord Ram stands without any chariot.
Seeing this, Vibhishan becomes worried and doubtful in his heart.
He bows at Lord Ram's feet with love and asks,
"How can we defeat such a powerful enemy without a chariot?"
Lord Ram responds,
"Listen, my dear friend, the chariot that brings victory is unique."
The wheels of this chariot are courage and patience,
Its flag is truth and character.
Strength, wisdom, self-control, and service to others are its horses,
Bound by the reins of forgiveness, compassion, and equality.
The charioteer is devotion to God,
Detachment is the armor, and contentment is the sword.
Charity is the axe, and intellect is the powerful spear.
The unshakable mind is the bow, and spiritual knowledge is the arrow.
Such a chariot, driven by righteousness,
Makes one invincible and ensures victory over all enemies.
Meaning:
In English, this mantra conveys the deep essence of spiritual and moral victory. Lord Ram teaches that true strength lies not in physical weapons but in virtues such as truth, courage, patience, and devotion to God.
अन्य भाषाओं में अनुवाद:
तमिल में:
ராவணனின் வண்டி மிகவும் சக்திவாய்ந்தது, ஆனால் இராமர் எந்த வண்டியுமின்றி நிற்கின்றார்.
இதைக் கண்டு விபீஷணர் கவலையடைந்தார் மற்றும் சந்தேகம் கொண்டார்.
அவர் இராமரின் பாதங்களை வணங்கி கேட்டார்:
"எவ்வாறு இந்த வலுவான எதிரியை தோற்கடிக்க முடியும்?"
இராமர் பதிலளித்தார்:
"வெற்றி தரும் உண்மையான ரதம் நற்பண்புகளால் ஆனது."
मलयालम में:
രാവണന്റെ രഥം ശക്തമായതാണ്, എന്നാൽ രാമൻ രഥമില്ലാതെ നില്ക്കുന്നു.
ഇത് കണ്ട വിബീഷണൻ ആശങ്കയിലായി മനസ്സിൽ സംശയം നിറഞ്ഞു.
അവൻ രാമന്റെ കാലുകൾ വിനയത്തോടെ നമസ്കരിച്ചു ചോദിച്ചു:
"എങ്ങനെയാണ് ഈ ശക്തനായ ശത്രുവിനെ തോൽപ്പിക്കുക?"
രാമൻ മറുപടി നൽകി:
"വെറും ആയുധങ്ങൾ അല്ല, ധാർമ്മികതയാണ് വിജയത്തിലേക്കുള്ള പാത."
पोस्ट का समाप्ति
यह मंत्र न केवल आध्यात्मिकता का संदेश देता है, बल्कि जीवन में सच्चे मार्ग और आत्मबल की प्रेरणा भी देता है। यह विभिन्न भाषाओं में अनुवादित होकर सभी के लिए समान रूप से प्रेरणादायक है।
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